एल्लप्पन अचरज आउर गोस्सा में बाड़ें.

“हमनी कवनो समुद्री मछरी मारे वाला जात ना हईं. फेरु हमनी के काहे सेंबानंद मारावर, चाहे गोसांगी बतावल जात बा?”

एगो 82 बरिस के बूढ़ दावा करत बाड़ें, “हमनी के शोलगा हईं. सरकार सबूत मांगत बा. हमनी इहंई रहत आइल बानी, का ई काफी नइखे? आधार अंटे आधारा. येल्लिंडा तरली आधार? (सबूत! सबूत! इहे रट लागल बा.)

तमिलनाडु के मदुरई जिला में सक्कीमंगलम गांव के एल्लप्पन समुदाय के लोग तमाशा देखावे के काम करेला. ऊ लोग सड़क पर घूम-घूम के पीठ पर कोड़ा मारेला. स्थानीय रूप से ई लोग के पहचान चातई समुदाय के रूप में बा. बाकिर जनगणना में ई लोग के सेंबानंद मारावर बतावल गइल बा, आउर अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) सूची में रखल गइल बा.

“जनगणना खातिर सरकारी आदमी लोग आवेलें, हमनी से कुछ पूछेलें आउर फेरु हमनी के बारे में आपन मरजी से कुछो के कुछो लिख देवेलें.”

भारत में अइसन कोई 15 करोड़ लोग बा जेकरा गलत तरीका से पहचानल आउर गलत सूची में रखल गइल बा. एल्लप्पन ओहि में से एगो हवें. एह में से केतना समुदाय के अंग्रेज के शासन में लागू आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के हिसाब से ‘वंशानुगत अपराधी’ घोषित कइल गइल रहे. एह कानून के बाद में 1952 में खत्म कर देहल गइल. एकरा बाद एह समुदाय सभ के डी-नोटिफाइड ट्राइब्स (डीएनटीज) चाहे घुमंतू जनजाति (एनटीज) के मानल गइल.

साल 2017 में जारी एगो सरकारी रिपोर्ट कहेला, “सबले जादे अधूरा आ सबले जादे अयोग्य. एह लोग के सामाजिक स्थिति के बारे में एहि भाषा में बतावल जा सकेला. ऊ लोग समाज के सबले निचला पायदान पर ठाड़ बा. आजो औपनिवेशिक शासन के बखत पैदा भइल पूर्वाग्रह सभ के झेल रहल बा.” ई सरकारी रिपोर्ट नेशनल कमीशन फॉर डिनोटिफाइड नोमैडिक एंड सेमी नोमैडिक ट्राइब्स जारी कइले रहे.

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येल्लप्पन (बावां) शोलगा समुदाय से हवें, आउर तमिलनाडु के मदुरई जिला के सक्कीमंगलम (दहिना) गांव में रहेलें

बाद में एह में से कुछ समूह के दोसर सूची में रखल गइल. जइसे कि अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी) आउर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी). बाकिर 2017 के रिपोर्ट में आगे बतावल गइल बा कि अबले 269 समुदाय के कवनो सूची में ना रखल जा सकल बा. एहि से ऊ लोग समाज कल्याण के उपाय- जइसे कि शिक्षा आ रोजगार में आरक्षण, जमीन के आबंटन, राजनीतिक भागीदारी आ अउरी बहुत कुछ से वंचित बा.

एह समुदायन में एल्लप्पन के शोलगा समूह के अलावा, सर्कस कलाकार, भाग्य बतावे वाला, संपेरा, सस्ता गहना, गंडा-ताबीज आउर रत्न बेचे वाला, पारंपरिक जड़ी बूटी बेचे वाला, रसड़ी पर करतब देखावे वाला, सांड़ के सींग से पकड़े वाले समूह शामिल हवे. ऊ लोग खानाबदोश के जिनगी जिएला. ओह लोग के कमाई के कवनो स्थायी साधन नइखे. अबहियो ऊ लोग भटके के मजबूर हवे. रोजी-रोटी खातिर रोज ग्राहक खोजेला आउर ओकरा खुस करे के कोसिस करेला. बाकिर आपन लरिकन के पढ़ाई वास्ते ऊ लोग आपन एगो ठिकाना बनावेला. उहंवा समय समय पर लउट के आवेला.

तमिलनाडु में पेरुमल मट्टुकरन, डोम्मारा, गुडुगुडुपांडी आ शोलगा समुदाय के, जनगणना के हिसाब से एससी, एसटी और एमबीसी जइसन श्रेणी में रखल गइल बा. एह लोग के अलग पहचान के अनदेखा करके आदियन, कट्टुनायकन आउर सेम्बानंद मारावर समुदाय में बांट देहल गइल बा. एहि तरह कई गो समुदाय के दोसर राज्य में गलत तरह से सूचीबद्ध गइल गइल बा.

पेरुमल मट्टुकरन समुदाय से जुड़ल पांडी के कहनाम बा, “शिक्षा आउर नौकरी में आरक्षण ना मिले त हमनी के लरिका लोग के कवनो मौका ना भेंटाई. हमनी से अइसन उम्मीद कइल अनुचित बा कि हमनी बिना सहयोग के दोसरा (गैर डीएनटीज आ एनटीज) के बीच आगे बढ़ पाएम.” उनकर समाज के लोग बैल के सजा के दुआरिए-दुआरिए जाएला. जे कुछ दान में मिलेला ओहि से गुजर-बसर करे के पड़ेला. एह लोग के बूम बूम मट्टुकरन भी पुकारल जाला. ई लोग दान के बदले लोग सभ के भाग्य बतावेलें, भजन सुनावेलें. साल 2016 में ओह लोग के अनुसूचित जनजाति के दरजा मिलल. एकरा बाद ऊ लोग आदियन समुदाय में शामिल कर लेहल गइल. बाकिर ऊ लोग के एकरा से संतुष्टि नइखे ऊ लोग चाहत बा कि ओह लोग के पेरुमल मट्टुकरन नाम से पहचानल जाव.

पांडी हमनी से बतियावत रहलें, तबे उनकर लइका धर्मादोरई घर लउटलन. ऊ एगो बहुत नीमन से सजावल गइल बैल के रस्सी पकड़ले रहस. कंधा पर झोला लटकत रहे, जे में दान में मिलल सामान रखल रहे. कांत (बगल) में एगो मोट किताब दबवले रहस. ओकर जिल्द पर “प्रैक्टिकल रिकॉर्ड बुक” लिखल रहे.

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धरमादोरई (दहिना) मदुरई के सक्कीमंगलम सरकारी विद्यालय में दसमां में पढ़ेलें. सजावल बैल के लगे उनकर बाबूजी पांडी (बावां)

धरमादोरई, मदुरई के सक्कीमंगलम में राजकीय उच्च विद्यालय में दसमां में पढ़ेलें. बड़ होके ऊ जिला कलेक्टर बने के सपना देखत बाड़ें. एह लक्ष्य के हासिल करे खातिर स्कूल में रहल जरूरी हवे. उनकरा सात गो स्कूली किताब खरीदे के रहे. एकरा खातिर बाबूजी जे 500 रुपइया देहलें ऊ सतमां किताब खातिर कम पड़ गइल. तब धरमादोरई पइसा के मामला आपन हाथ में ले लेहलें.

“हम आपन सजल-धजल बैल संगे 5 किमी पइदल यात्रा पर निकल गइनी. हमरा 200 रुपइया मिलल. उहे पइसा से हम ई किताब खरीद लइनी,” ऊ बतइलन. मिहनत से आपन लक्ष्य पूरा करे के खुसी चेहरा से साफ लउकत रहे.

तमिलनाडु में डीएनटी समुदाय के लोग सबले जादे- 68 बा. दोसर नंबर पर एनटीज- 60 हवे. आउर एहि से पांडी के लागेला कि धरमादोरई के इहंवा नीमन शिक्षा ना मिली. “हमनी के मुकाबला बहुत दोसर समुदाय से भी बा.” उनकर इशारा ओह समुदाय से बा, जेकरा बहुत पहिलहीं अनुसूचित जनजाति के दरजा मिल गइल रहे. तमिलनाडु में शिक्षण संस्थान आउर नौकरी में 69 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ा वर्ग (बीसी), सबसे पिछड़ा वर्ग (एमबीसी), वन्नियार, डीएनटी, अनुसूचित जाति आ अनुसूचित जनजाति के दिहल गइल बा.

*****

ऊ बतइलें, “हमनी जवना भी गांव से होकर गुजरिला, उहंवा जदी कुछो भुला जाला त हमनी के इल्जाम लगावल जाला. मुरगी होखे, गहना होखे, चाहे कपड़ा-लत्ता, हमनिए के सजा देहल जाला, मारल-पीटल आउरी बेइज्जत कइल जाला.”

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बावां: सड़क पर करतब देखावे वाला डोम्मार समुदाय के कलाकार महाराजा आपन बांडी बांध रहल बाड़ें. दहिना: उनकर घरवाली गौरी आग संगे करतब देखावत बाड़ी

तीस पार कर चुकल आर. महाराजा डोम्मार समुदाय के हवन. ऊ सड़क पर करतब देखावेलें. शिवगंगा जिला के मनमदुरई में आपन परिवार संगे बंडी (चलत-फिरत कारवां) में रहेलें. उनकर डेरा में 24 गो परिवार लोग बा. महाराजा के घर एगो तिपहिया गाड़ी बा. एह गाड़ी के पैक करके परिवार आउर सामान खातिर एगो सवारी गाड़ी जेका इस्तेमाल कइल जा सकेल. उनकर पूरा गृहस्थी आ तमाशा देखावे वाला सामान- जइसे कि चटाई, तकिया आ एगो किरासन तेल से जले वाला चूल्हा संगे एगो मेगाफोन, ऑडियो कैसेट प्लेयर, सलाख आउर रिंग (एकरा ऊ करतब देखावे घरिया उपयोग करेलें)- सभ उनकरा संगे चलेला.

“हम आउर हमार घरवाली गौरी भोरे-भोरे बंडी से निकल जाइले. इहंवा से निकलला के बाद सबसे पहिले तिरुपत्तूर गांव पड़ेला. उहंवा तलैवर (गांव प्रधान) से गांव के बाहिर इलाका में डेरा डाले आउर गांव में तमाशा देखावे के इजाजत लेवे के पड़ेला. हमनी उनका से लाउडस्पीकर आ माइक्रोफोन खातिर बिजली देवे के भी निहोरा करिले. ”

संझा के 4 बजे के आस पास तमाशा सुरु होखेला. सबसे पहले घंटा भर ले करतब देखावल जाला. एकरा बाद एक घंटा तक गाना के रिकॉर्डिंग पर फ्रीस्टाइल नाच के कार्यक्रम चलेला. खेल खत्म भइला के बाद ऊ लोग घूम-घूम के देखनहार से पइसा देवे के आग्रह करेला.

औपनिवेशिक युग में डोम्मार सभ के आपराधिक जनजाति मानल जात रहे. अइसे त, अब ऊ लोग के एह सभ से मुक्त कर देहल गइल बा. मदुरई के आर. माहेश्वरी के कहनाम बा, “ऊ लोग अबहियो डर के रहेला. आए जिन ओह लोग संगे पुलिसिया ज्यादती आउर भीड़ के हमला के निशाना बने के खबर सुने के मिलेला.” माहेश्वरी सामुदायिक अधिकार सभ खातिर काम करे वाला मदुरई के एनजीओ ‘टेंट’ (द एमपावरमेंट सेंटर ऑफ नोमैड्स एंड ट्राइब्स) सोसाइटी के सचिव हई’

ऊ बतावत बाड़ी अनुसूचित जाति आ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम भलहीं  अनुसूचित जाति आ जनजाति के भेदभाव आउर हिंसा के विरुद्ध क़ानूनी सुरक्षा देले बा. बाकिर केतना आयोग आउर उनकर रिपोर्ट में देहल सुझाव के बादो डीएनटी आउर एनटी जइसन कमजोर समुदायन खातिर कवनो तरह के संवैधानिक आउर कानूनी सुरक्षा के नियम नइखे.

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बावां: किलि जोसयम एगो सुग्गा के मदद से भविष्य बतावेलें. दहिना: मदुरई के मीनाक्षी अम्मां मंदिर लगे नारिकुरुवर समुदाय के लोग सस्ता गंडा-ताबीज, रत्न आउर गहना बेच रहल बा

महाराज के मानल जाव ते डोम्मार कलाकार केतना बेर पूरा साल घूमत रहेला. गौरी बतावत बाड़ी, “जे दिन पानी बरस जाला, चाहे पुलिस हमनी के तमाशा में बाधा डालेल, ओह दिन हमनी के कवनो कमाई ना होखे.” अगिला दिन ऊ आपन बंडी के कवनो दोसर गांव ले जाएलन. आपन सफर खातिर ऊ एके गो गांव आउर रस्ता से होकर केतना बेर गुजरेलन.

उनकर 7 बरिस के लइका मनिमारण स्कूल में पढ़ेलें. लइका के पढ़ाई ना छूट जाए, एह खातिर उनकर समुदाय के सभे लोग मिलकर ख्याल रखेला. उनकर कहनाम बा, “हमार लरिकन के देखभाल करे खातिर एक बरिस तक हमार भाई के परिवार हमनी के घरे रहल. कबो-कबो हमार चाचा लरिकन के संभालें.”

*****

जब रुक्मिणी के काम उठान पर रहे, उनकर करतब देख के लोग आपन दांत तरे अंगुरी दबा लेत रहे. ऊ आपन केस से भारी-भारी पत्थर बांध के उठा लेत रहस, लोहा के छड़ मोड़ देत रहस. आजो ऊ आग जरा के कइल जाए वाला खतरनाक करतब सभ देखावेली, त लोग के भीड़ जुट जाला. ऊ छड़ी घुमावे, स्पिन करे आउर दोसरा तरह के खेल भी करेली.

सड़क पर घूम घूम के करतब देखावे वाली, 37 बरिस के रुक्मिणी डोम्मार समुदाय के सदस्य बाड़ी. ऊ तमिलनाडु के शिवगंगा जिला के मनमदुरई में रहेली.

रुक्मिणी के रस्ता में मरद लोग के गंदा नजर आउर बात भी सुने के पड़ेला, “हमनी करतब देखावे घरिया खूब गाढ़ा मेकअप करिले आउर खूब भड़कीला रंगीन कपड़ा पहिनिले. एकर लोग गलत मतलब निकालेला. गलत जगह छूए के कोशिश करेला, गंदा गंदा बात बोलेला. आपन ‘दाम’ बतावे के कहेला.”

पुलिस भी रुक्मिणी जइनस मेहरारू के मदद ना करे. जे लोग के खिलाफ ऊ शिकायत करेली, बाद में, रुक्मिणी के कहनाम बा, “ उहे लोग हमनी के खिलाफ चोरी के इल्जाम लगा देवेला. पुलिस ओह लोग के खिलाफ कुछ करे के बजाय हमनिए के बंद कर देवेला, हमनिए के पिटेला.”

साल 2022 में जाके एह एनटी समुदाय, जेकरा स्थानीय लोग कलईकूटाडिगल कहेला, के अनुसूचित जाति के सूची में जगह मिलल.

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मनमदुरई में डोम्मार बस्ती के रुक्मिणी आग के, छड़ी घुमावे के आ स्पिनिंग के खेल आउर कलाबाजी से भीड़ के ध्यान अपना ओरी खिंचेली

रुक्मिणी के अनुभव, पहिले के डीएनटीज आ एनटीज से कवनो अलग नइखे. अपराधी जनजाति अधिनियम खत्म त कर देहल गइल बा, बाकिर कुछ राज्य में एकरा जगह पर आदतन अपराधी अधिनियम (हैबीचुअल ट्राइब्स एक्ट) बना देहल गइल बा. ई समान पंजीकरण आउर निगरानी पर आधारित बा. दूनो में एके गो अतंर बा. ऊ ई हवे कि पहिले जेका अब पूरा समुदाय ना, खाली खास आदमी-औरत के निशाना बनावल जाला.

समुदाय एह गांव में अस्थायी तंबू, ईंट-गारा से कइसहूं खड़ा कर देहल गइल कमरा में रहेला आउर कारवां में चलेला. रुक्मिणी के पड़ोसी, 66 बरिस के सेल्वी बतावत बाड़ी कि उनकरा यौन प्रताड़ना झेले के पड़ल रहे. सड़क पर करतब देखावे वाली ई कलाकार, सेल्वी के कहनाम हवे, “गांव के मरद सभ रात में तंबू में घुस जाए आउर हमनी के बगल में आके लेट जाए. हमनी एहि खातिर मैला-कुचैला तरीका से रहिले जेह से ई लोग हमनी से ना सटे. हमनी त आपन बाल में कंघियो ना करिले. नहाए धोआए, साफ कपड़ा पहिने सभे से दूर रहिले. एकरा बादो लंगई करे वाला लोग बाज ना आवे.” सेल्वी के दू गो लइकी आउर दू गो लइका बाड़ें.

“हमनी जब काफिला में सफर पर रहिले, तब एतना गंदा दिखाई दिहिले कि रउआ भी पहचान ना सकम,” सेल्वी के घरवाला रत्तिनम आपन बात जोड़लन.

एहि समुदाय में एगो 19 बरिस के जवान लइकी तयम्मा रहेली. ऊ सन्नतिपुडुकुलम के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 12वीं कक्षा में पढ़ेली. आपन समुदाय में स्कूल के पढ़ाई पूरा करे वाली ऊ पहिल लइकी होखिहन.

कॉलेज जाके ‘कंप्यूटर के पढ़ाई’ पढ़े के उनकर सपना बा. बाकिर उनकर माई बाबूजी सायदे उनका एह बात के इजाजत दीहें.

तयम्मा के माई लक्ष्मी कहेली, “हमनी जइसन समाज के लइकी लोग खातिर कॉलेज सुरक्षित नइखे. स्कूल में ‘सरकस पोदर्वा इवा’ (सरकस कलाकार) कह के ओह लोग के मजाक उड़ावल जाला. ओह लोग संगे भेदभाव कइल जाला. कॉलेज में त एकरो से खराब हो सकत बा. आउर उनकर नाम अपना इहंवा के लिखी? अगर नाम लिख भी लेहल गइल, त एकरा खातिर एतना फीस के भरी?”

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सन्नतिपुडुकुलम बस्ती (बावां) में रहे वाला एगो परिवार भोरे-भोरे पहिया गाड़ी (दहिना) से पिए के पानी लेवे जात बा

‘टेंट’ के माहेश्वरी बतावत बाड़ी कि एहि से एह समुदाय के लइकी लोग के छोट उमिर में बियाह देहल जाला. सेल्वी के हिसाब से, “जदी यौन शोषण, बलात्कार आउर अवैध गरभधारण जइसन कवनो घटना हो जाला, त समुदाय के भीतरे उनकरा लोग के बहिष्कृत कर देहल जाला.”

एह तरह से एह समुदाय के मेहरारू लोग दोहरा मार झेलेला. ऊ लोग के ना केवल समुदाय के रूप में भेदवाव के सामना करे के पड़ेला, बलुक मेहरारू होखे के चलते लैंगिक भेदभाव से भी लड़े के पड़ेला.

*****

“हमार बियाह भइल, त हम 16 बरिस के रहीं. हम पढ़ल-लिखल नइखी. एहि से हम हाथ देख के भाग बतावे के काम करे लगनी. बाकिर हमनी ना चाहिले कि हमनी के अगिला पीढ़ी के ई करे के पड़े. एहि से हम आपन लइका लोग के स्कूल जरूर भेजिले.” तीन लरिकन के माई, 28 बरिस के हमसावल्ली बतावत बाड़ी.

गुडुगुडुपांडी समुदाय से आवे वाली हमसावल्ली मदुरई के गांवन में घूमेली आउर लोग के उनकर भाग्य बतावेली. एक दिन में ऊ मोटा-मोटी 55 घर जाएली. मध्य तमिलनाडु के 40 डिग्री जेतना गरम तापमान में रोज 10 किमी पइदल चलेली. साल 2009 में उनकर बस्ती में रहे वाला लोग के कट्टुनायकन, मतलब एक अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत कइल गइल रहे.

मदुरई के जेजे नगर में उनकर घर बा. ऊ बतावत बाड़ी, “हमनी के अलग अलग घर से कुछ खाना आउर मुट्ठी मुट्ठी भर अनाज मिल जाला.” जेजे नगर, मदुरई जिला के तिरुपरनकुंद्रम शहर में कोई 60 परिवार के एगो बस्ती हवे.

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गुडुगुडपांडी बस्ती (दहिना) में आपन लइका संगे बइठल हमसावल्ली (बावां)

गुडुगुडपांडी समुदाय के एह बस्ती में ना त बिजली बा, न साफ-सफाई. लोग बस्ती के लगे के झाड़ी में जाके शौच करेला. एहि से इहंवा सांप काटे के मामला आम बा. हमसावल्ली बतावत बाड़ी, “इहंवा लमहर लमहर साप बा. ई कुंडली मार के बइठे के बादो हमार कमर से ऊंचा पहुंचेला.” जब बरखा में एह लोग के तंबू चुए लागेला, तब जादे परिवार के ‘स्टडी सेंटर’ के बड़हन हॉल में रात बितावे के पड़ेला. ई एगो गैर सरकारी संगठन के बनावल बा.

बाकिर ओह लोग के कमाई एतना नइखे कि आपन 11, 9 आउर 5 बरिस के लरिका के पेट ठीक से भर सके. ऊ कहली, “हमरा लरिका लोग हरमेसा बेमार रहेला. डॉक्टर के ताकीद बा, नीमन खाना द. एह लोग के ताकत आउर बेमारी से बचाचे खातिर नीमन पोषण वाला खाना खिआवे के जरूरत बा. बाकिर हम एह लोग के जादे त ना, बस रासन में मिले वाला चाउर से दलिया आउर रसम बना के खिला सकिले.”

एहि से ऊ जोर लगा के कहली, “हमनी संगे ई काम अब खत्म हो जाए के चाहीं.”

एह लोग के अनुभव देखला के बाद, बी.आरी बाबू कहले, “समुदाय के प्रणाणपत्र खाली श्रेणी बतावे वाला कागज नइखे. ई इंसान के हैसियत से, आपन अधिकार हासिल करे के एगो हथियार हवे.” बाबू, मदुरई के अमेरिकन कॉलेज में सहायक प्राध्यापक हवें.

प्रमाणपत्र के बारे में ऊ इहो कहलें, “ ई कागज सामाजिक न्याय हासिल करे के साधन बा. इहे ना एकरे से राजनीतिक, सामाजिक आउर आर्थिक बराबरी सुनिश्चित हो सकेला. सदियन से जे गलत भइल आइल ओह लोग के साथ, ओकरा सुधारल जा सकेला.” ऊ बफून के संस्थापक हवें, जे एगो अव्यावसायिक यूट्यूब चैनल बा. एह चैनल पर महामारी आउर लॉकडाउन बखत तमिलनाडु में वंचित आउर अभाव से जूझ रहल समूह जे परेसानी आउर समस्या झेललक, ओकरा दर्ज कइल गइल बा.

*****

सन्नतिपुडुकुलम के आपन घर में, आर. सुप्रमणि गर्व के साथ आपन मतदाता पहचान पत्र देखावत बाड़ें. ऊ कहत बाड़ें, “हम एह चुनाव (2021 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव) में, 60 बरिस बाद पहिल बेर वोट डालनी.” गैर सरकारी संगठन सभ के मदद से आधार कार्ड आउर दोसर सरकारी कागज भी उनकरा मिल गइल.

ऊ कहले, “हम पढ़ल-लिखल नइखी. एहि से रोजी-रोटी खातिर कवनो दोसर काम ना कर सकीं. सरकार के हमनी खातिर कवनो व्यावसायिक प्रशिक्षण आउर करजा देवे के बात सोचे के चाहीं. एह से सभे कोई आपन आपन रोजगार सुरु कर सकत बा.”

पछिला बरिस, 15 फरवरी के सामाजिक न्याय आउर अधिकारिता मंत्रालय डीएनटी खातिर आर्थिक सशक्तिकरण योजन (एसईईडी) सुरु कइल गइल. ई योजना ऊ लोग खातिर बा, जेकर कमाई सलाना 2.50 लाख, चाहे एकरो से कम बा. आउर अइसन परिवार खातिर बा जे केंद्र चाहे राज्य सरकार के अइसन कवनो दोसर योजना के लाभ नइखे लेत.”

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बावां: मदुरई के मुरुगन मंदिर के सामने हाथ के रेखा पढ़ के भविष्य बतावत एगो मेहरारू. दहिना: मदुरई में तिरुपररनकुंदर्म मुरुगन मंदिर के सामने चातई, अपना के कोड़ा मारे वाला समुदाय के लोग करतब देखावत बा

प्रेस रिलीज में भी एह समुदाय संगे भेदभाव के बात कहल गइल बा. आउर ई भी, “वित्तीय वर्ष 2021-22 से लेके 2025-26 के बीच के पांच बरिस में कोई 200 करोड़ के रकम खरचा करे के योजना पर खास जोर देहल गइल हवे.” बाकिर अबले कवनो समुदाय के एक नया पइसा नइखे मिलल. काहेकि अबले आकलन के काम पूरा नइखे भइल.

सुप्रमणि के कहनाम बा, “संविधान में एससी आ एसटी जेका हमनी के एगो अलग आउर स्पष्ट पहचान मिले के चाहीं. एकरे से राज्य हमनी के भरोसा दिला सकत बा कि हमनी संगे पक्षपात नइखे होखत.” उनकरा हिसाब से सही गणना के बादे एह समुदाय आउर एकर सदस्य लोग के ठीक से पहचान हो सकेला.

मौजूदा लेख 2021-22 के एशिया पैसिफिक फोरम ऑन वीमेन, लॉ एंड डेवलपमेंट (एपीडब्ल्यूएलडी) मीडिया फेलोशिप खातिर लिखल गइल बा.

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Pragati K.B.

Pragati K.B. is an independent journalist. She is pursuing a master’s in Social Anthropology at the University of Oxford, UK.

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Editor : Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. A journalist and teacher, she also heads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum, and with young people to document the issues of our times.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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