“ई सभ रसोई घर से शुरू भइल रहे,” उत्तराखंड के चमोली जिला के जोशीमठ में रहे वाला अजीत राघव इयाद करे लगलन. जोशीमठ में 2 जनवरी के रात कयामत के रात रहे.

जीप टैक्सी ड्राइवर अजीत, 37 बरिस, के कहनाम बा उनकरा सबसे पहिले रसोई घर में दरार देखाई पड़ल. ऊ बहुते तेजी से पूरा घर में पसर गइल. उनकर दुतल्ला घर के जवना कमरा में सबसे कम दरार पड़ल रहे, ओहि के ऊ लोग रसोई घर बना लेले बा. आठ लोग के परिवार के अचके एक बित्ता जगहा में रहे के पड़त बा.

राघव बतावत बाड़न, “हमनी आपन दूनो लइकी, ऐश्वर्या 12 बरिस आ सृष्टि 9 बरिस, के आपन दीदी के घरे रहे खातिर भेज देनी.” परिवार के बाकी लोग- राघव, उनकर घरवाली गौरी देवी, छव बरिस के लइकी आयशा आउर उनकर दू गो बूढ़ चाची लोग इहंई दिन में खाना खइलक. बाकिर सांझ के ओह लोग के बगल के संस्कृत महाविद्यालय स्कूल में सुते खातिर जाए के पड़ी. हिमालय के जोशीमठ में एह स्कूल अबही घर से उजड़ल लोग के बसेरा बनल बा.

चमोली के जिला प्रशासन एह बारे में 21 जनवरी, 2023 के एगो बुलेटिन जारी कइले रहे. एह बुलेटिन के हिसाब से, जोशीमठ के नौ वार्ड में 181 भवन असुरक्षित बा. एकरा अलावा, वार्ड के 863 भवनन में दरार पड़ गइल बा. राघव पारी के आपन अड़ोस-पड़ोस के घर में पड़ल दरार देखावत बाड़न. ऊ कहले, “इहंवा के हर घर जोशीमठ में आइल प्रलय के कहानी कहत बा.” उनकरा इशारा ओह इलाका में चल रहल बेलगाम बिकास ओरी बा, जेकरा से ई स्थिति पैदा भ गइल.

राघव के कहनाम बा कि जोशीमठ के भवनन के फर्श, छत आ देवाल में 3 जनवरी 2023 से ही दरार पड़े के शुरू हो गइल रहे. कुछे दिन में ई सभ एगो विकट संकट में बदल गइल. मोटा-मोटी उहे घरिया, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरसीएस), जोशीमठ के लेके एक ठो तस्वीर जारी कइले रहे. एह में देखावल गइल रहे कि शहर दिसंबर, 2022 आउर जनवरी, 2023 के बीच 5.4 सेमी नीचे डूब गइल बा. अबही इसरो के ई रिपोर्ट भी ‘रहस्यमय' तरीका से ओकर वेबसाइट से गायब हो गइल बा.

सिंहदार वार्ड, जहंवा ऊ रहेले, 151 भवनन में दरार लउकत बा; 98 इलाका असुरक्षित बा. प्रशासन एह सभ के निशानदेही लाल निशान से कइले बा. लोग के चेतावल गइल बा कि इहंवा रहल आउर आवल-जाइल, दूनो खतरा से खाली नइखे.

The family has set up a temporary kitchen in the room with the least cracks.
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Clothes and other personal belongings are piled up in suitcases, ready to be moved at short notice
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बावां: घर के सबसे कम दरार वाला कमरा से ऊ लोग रसोई घर के काम लेवत बा. दहिना: सूटकेस में कपड़ा आउर दोसर सामान सभ के ढेरी लगावल बा, ऊ लोग के कबहूं भी निकले के पड़ सकत बा

A neighbour is on her roof and talking to Gauri Devi (not seen); Raghav and his daughter, Ayesha are standing in front of their home
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Gauri Devi in the temporary shelter provided by the Chamoli district administration
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बावां: गौरी देवी (उनकर मुंह नइखे लउकत) आपन पड़ोसी से बतियावत बाड़ी, राघव आ उनकर लइकी आयशा आपन घर के सामने ठाड़ बाड़न. दहिना: चमोली जिला प्रशासन के ओरी से बेवस्था कइल गइल एक ठो रिलीफ कैंप में गौरी देवी

जिनगी भर इहंवे रहे वाला राघव हर संभव कोशिश करत बाड़न कि उनकरा घर पर लाल निशान ना लगे. ऊ कहले, “हम फेरु आपन छत पर घाम में बइठे आ उहंवा से पहाड़ निहारे के चाहत बानी.” राघव के बचपन माई-बाबूजी आउर बड़ भाई संगे इहंवे बीतल बा. अब राघव के छोड़ के, एह में से केहू नइखे बचल.

ऊ बतावत बाड़न, “लाल निशान (रेड क्रॉस) के मतलब बा कि जिला प्रशासन (चमोली के जिला अधिकारी) ओह जगहा के सील कर दीही. एकर इहो मतलब बा केहू आपन घरे लउट ना सकी.”

रात घिर आइल बा. परिवार के लोग खाना खा चुकल बा. राघव के चाची सुते खातिर अब आपन नयका घर, स्कूल जाए के असरा ताकत बाड़ी.

उनकर घर में सभे कुछ छितराइल बा. एगो सूटकेस में कपड़ा सभ के ढेरी लागल बा, अलमारी खाली बा, फ्रिज के देवाल से हटा के रखल गइल बा. ले जाए खातिर छोट छोट झोला में घर के सामान पैक कर के राखल बा. स्टील आ प्लास्टिक के बरतन के बक्सा आ पैक कइल गइल दोसर सामान के बड़ डिब्बा आ बक्सा सभ एने-ओने छितराइल बा.

राघव अगल-बगल देख के कहत बाड़न, “ हमरा पास इहे 2,000 के नोट बचल बा. एतना पइसा में हम एतना सामान खातिर ट्रक बुक नइखी कर सकत.”

Raghav and Ayesha are examining cracks on the ground in their neighbourhood. He says, ‘My story is the story of all Joshimath.’
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The red cross on a house identifies those homes that have been sealed by the administration and its residents evacuated
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बावां: राघव आउर आयशा आपन पड़ोस के मैदान में पड़ल दरार देखत हवें. ऊ कहले, ‘हमार कहानी, जोशीमठ के घर-घर के कहानी बा.’ दहिना: घर पर लगावल लाल निशान के मतलब बा कि प्रशासन एकरा के खाली करवा के, सील कइले बा

Raghav and Ayesha on the terrace of their home.  'I want to come again to sit in the sun on my roof and watch the mountains'.
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A view of Joshimath town and the surrounding mountains where underground drilling is ongoing
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बावां: राघव आउर आयशा आपन घर के छत पर बाटे.’हम फेरु इहंवा लउटके आपन छत पर घाम तापे आ इहंवा से पहाड़ निहारे के चाहत बानी.’ दहिना: जोशीमठ आउर आस-पास के पहाड़ के नजारा, जहंवा ड्रिलिंग के काम चल रहल बा

उनकर घरवाली, गौरी इयाद दिलावत बाड़ी कि प्रशासन “माइक से सभे के दू दिन में आपन घर खाली कर के जाए के बोलत बा”

राघव जवाब देहले, “हम जोशीमठ छोड़ के ना जाइब. इहंवा से ना भागम. हम विरोध करम, हम लड़म.”

ई जनवरी के दूसर हफ्ता के बात हवे.

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एक हफ्ता बाद, 20 जनवरी 2023 के बात बा, राघव दू गो दिहाड़ी मजदूर के बोलावे गइलन. पछिला रात उहंवा के हालत बद से बदतर हो गइल. जोशीमठ में भारी बरफबारी होखे लागल. आपन घर से बेघर लोग खातिर एगो आउर परेसानी ठाड़ हो गइल. दुपहरिया 1 बजे ऊ मजदूर लोग के साथे आपन घर के सभ सामान ट्रक में रखलन. चउकी आउर फ्रिज जइसन भारी सामान के पातर गली से ले जाए आ ओकरा ट्रक पर चढ़ावे में भारी परेसानी भइल.

राघव फोन पर बतइलन, “बरफबारी त रुक गइल बा, बाकिर रस्ता गील आ फिसलन वाला हो गइल रहे. हमनी के इहंवा से सामान निकाले में भारी मुसीबत होखत बा.” ऊ आपन परिवार के इहंवा से 60 किमी दूर नंदप्रयाग ले जात हवें. उहंवा ऊ आपन बहिन के पड़ोस में मकान किराया पर लेके रहे के सोचले बाड़न.

जोशीमठ में सभे ओरी बरफ के मोट चद्दर जइसन बिछ गइल बा. घर के बहरी देवाल में से दरार आ लाल निशान अबहियो लउकत बा. इहंवा के दर्जनन घर, दोकान, होटल आ दोसर भवन के नींव फाट गइल बा. सरकार एह इलाका के खाली करवा देले बा.

Ranjit Singh Chouhan standing outside his house in Joshimath which has been marked with a red cross signifying that it is unsafe to live in.
PHOTO • Manish Unniyal
A house in Manoharbagh, an area of Joshimath town that has been badly affected by the sinking
PHOTO • Manish Unniyal

बावां: रणजीत सिंह चउहान जोशीमठ के आपन घर के सामने ठाड़ हवन. उनकर मकान पर लाल निशान लगावल बा, जेकर मतलब बा अब इहंवा रहल खतरा से खाली नइखे. दहिना: मनोहर बाग के एगो मकान, जोशीमठ के ई इलाका डूब रहल बा

रंजीत सिंह चौहान, 43 बरिस, बरफ से पाटल आपन दुतल्ला घर के चारदीवारी में ठाड़ बाड़न. उनकर मकान सुनील वार्ड में पड़ेला. एह पर लाल निशान लगावल बा. रंजीत, उनकर घरवाली आउर तीन गो लरिका के लगले होटल में रहे खातिर बेवस्था कइल गइल बा. उनकर जादेतर सामान अबहियो घरे में पड़ल बा. बरफबारी के बादो,आपन घर के देखे रोज जाएलन. उनकरा डर बा, कहीं घर से कोई सामान चोरी ना हो जाए.

ऊ कहत बाड़ें, “हम आपन परिवार के देहरादून, चाहे श्रीनगर- कहूं सुरक्षित जगह ले जाए के कोशिश करम.” रंजीत बद्रीनाथ में होटल चलावेलन. होटल गरमी में कारोबार खातिर खुलल रहेला. भविष्य में का होखे के बा, अब उनकरा कवनो भरोसा नइखे. बाकिर एक चीज खातिर पक्का बाड़न कि सुरक्षित रहल सबसे जरूरी हवे. एहि बीच उनकरा 1.5 लाख के अंतरिम राहत के भी इंतजार बा, जेकर ऐलान उत्तराखंड सरकार 11 जनवरी, 2023 के  कइले रहे.

हिमालयी इलाका के एह डूब रहल कस्बा में हर जगहा पइसा के कमी बा. राघव घर-बार तबाह भइला से ओतना दुखी नइखन जेतना एह में लगावल पइसा के डूबला से. ऊ कहले, “नया घर बनावे में हमार 5 लाख खरचा हो गइल. हम आउरी 3 लाख रुपइया करजा लेले रहनी. एकरा अबही चुकावे के बाकी बा.” एकरा अलावा ऊ आगू खातिर आउर बहुते कुछ सोचले रहस. आपन बावां आंख ठीक से काम ना कइला से ऊ ड्राइविंग के काम छोड़के गैराज खोले के सोचले रहस. “सभे प्लान पर पानी फेरा गइल.”

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एह तबाही के पीछे इलाका में एक के बाद एक, चल रहल अंधाधुंध बिकास के जिम्मेदार ठहरावल जात बा. खासकर के हाल ही में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के तपोवन विष्णुगाड़ हाइड्रो परियोजना खातिर सुरंग के खुदाई. अबही त, उत्तराखंड में कोई 42 गो पनबिजली परियोजना चालू बा. अइसन कइएक गो आउरी परियोजना के तइयारी चल रहल बा. पनबिजली से भइल एह जोशीमठ आपदा पहिल नइखे.

एनटीपीसी के खिलाफ जोशीमठ के तहसील कार्यालय के सामने में इहंवा के लोग धरना प्रदर्शन पर बइठल बा. राघव भी रोज इहंवा आवेलन, आ आपन विरोध दर्ज करेलन. एह विरोध प्रदर्शन के शुरुआत करे वाली अनीता लांबा कहतारी, “हमनी के घर त बरबाद हो गइल, बाकिर आपन शहर ना उजड़े के चाहीं.” आंगनवाड़ी टीचर, अनीता, घरे-घरे जाके उहंवा के लोग के “एनटीपीसी आउर एकर विनाशकारी परियोजना के बंद करावे खातिर लड़े आ एकजुट होखे” के कहेली.

he people of the town are holding sit-in protests agianst the tunneling and drilling which they blame for the sinking. A poster saying 'NTPC Go Back'  pasted on the vehicle of a local delivery agent.
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Women from Joshimath and surrounding areas at a sit-in protest in the town
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बावां: जोशीमठ के लोग इहंवा सुरंग खोदे, ड्रिलिंग करे के विरोध में धरना पर बइठल बा, जेकरा शहर के डूबे खातिर जिम्मेदार ठहरावल जात बा. उहंवा के डिलीवरी एजेंट के गाड़ी पर चिपकावल एगो पोस्टर पर लिखल बा, ‘एनटीपीसी, वापस जाओ’. दहिना: जोशीमठ आ अड़ोस-पड़ोस के इलाका से आइल मेहरारू लोग धरना पर बइठल बारी

The photos of gods have not been packed away. Raghav is standing on a chair in the makeshift kitchen as he prays for better times.
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Ayesha looks on as her mother Gauri makes chuni roti for the Chunyatyar festival
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बावां: भगवान के फोटो पैक नइखे कइल गइल, राघव कुरसी पर ठाड़ होके प्रार्थना करत बाड़न. दहिना: आयशा आपन माई के चुन्यात्यार खातिर चूनी रोटी बनावत देखत बाड़ी

वाटर एंड एनर्जी इंटरनेशनल नाम के पत्रिका में 2017 में ‘भारतीय हिमालय के उत्तराखंड इलाके में पनबिजली विकास’ के बारे में एगो लेख छपल रहे. लिखे वाला रहस संचित सरन अग्रवाल आउर एम.एल कंसल. ऊ लोग उत्तराखंड में पनबिजली परियोजना से होखे वाला पर्यावरण के कई गो परेशानी के बारे में एह लेख में जिक्र कइलक. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के चार धाम प्रोजक्ट आउर हेलंग बाईपास जइसन निर्माण कार्य से मामला अउरी बिगड़ गइल बा.

पर्यावरण खातिर काम करे वाला अतुल सती जोशीमठ में एगो आउर धरना शुरू कइलन ह. उनकर कहनाम बा बद्रीनाथ के तीर्थयात्रा के लोकप्रिय बनावे खातिर होटल आ व्यवसायिक भवन सभ के तेजी से निर्माण भइल ह. एह से जमीन पर भार बढ़ गइल. जोशीमठ के बद्रीनाथ धाम के प्रवेश द्वार मानल जाला. एकरा अलावा एकरा पर्वतारोहण खातिर भी जानल जाला. दूनो जगहा 2021 में इहंवा पैदल आवे वाला पर्यटक लोग के गिनती 3.5 लाख यानी जोशीमठ (जनगणना 2011) के आबादी से 10 गुना जादे रहे.

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राघव एगो कुरसी पर तीन गो अगरबत्ती जला के स्टैंड पर रखलन. एकर खुशबू से छोट कमरा महक उठल बा.

उनकर घर के सभ सामान के पैकिंग हो रहल बा. बाकिर भगवना के फोटो आ खिलौना के एक ओरी राखल बा. एतना परेसानी आ अनिष्ट के आसंका के बादो सभे परिवार मिलके खुशी मनावे के मौका खोजत बा. ऊ लोग चुन्यात्यार खातिर तइयारी कर रहल बा. ई सरदी कम होखे के संकेत देवे वाला एगो फसल उत्सव होखेला. चूनी रोटी एगो तरह के पराठा बा, जेकरा एह घरिया बनावल आ खाइल जाला.

सांझ के ढल रहल अंजोरिया में आयशा आपन बाबूजी के बात दोहरावत बारी:
“चूनी रोटी खाएंगे, जोशीमठ बचाएंगे”

मनीष उन्नियाल, दिल्ली रहे वाला फोटोग्राफर आउर वीडियोग्राफर हवें.

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Shadab Farooq

Shadab Farooq is an independent journalist based in Delhi and reports from Kashmir, Uttarakhand and Uttar Pradesh. He writes on politics, culture and the environment.

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Editor : Urvashi Sarkar
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Urvashi Sarkar is an independent journalist and a 2016 PARI Fellow.

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Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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