प्रीती यादव के कहनाम बा, "इ छोट गांठ हड्डी जइसन कड़ा हो गइल बा."
इ बात के एक बरिस से जादे भइल. साल 2020 के जुलाई में मालूम भइल कि प्रीति के दहिना छाती में मटर जइसन एगो गांठ बढ़ रहल बा. आउर इ बात के भी आज लगभग एक बरिस हो जाई, जब पटना के एगो कैंसर संस्थान के ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर के पता लगावे आउर इलाज करे वाला) उनकरा के बायोप्सी करावे के कहलन. संगही, उनकरा के ऑपरेशन से छाती निकलवावे के सलाह दिहल गइल.
बाकिर प्रीति फेर कबो अस्पताल वापस ना गइली
प्रीति आपन परिवार के संगे घर के टाइल वाला बरामदा में एगो भूरा रंग के पिलास्टिक के कुर्सी पर बइठल बारी. अंगना में फूल के झाड़ लागल बा. उ कहत बारी, "करवा लेंगे (हमनी के करवा लेब)."
धीरे से बोलल गइल इ बात से परेशानी साफ झलकत रहे. हाल के बरिस में उनकर, नाहियो त चार गो करीबी रिश्तेदार के कैंसर से मौत हो गइल. एकरा अलावे मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी शुरू होखे के पहिले के कुछ बरिस में बिहार के सारण जिला के सोनपुर प्रखंड के उनकरा गांव में कैंसर के आउरी बहुत मामला देखे के मिलल. (उनकर निहोरा पर हमनी के इहां उनकर आपन आ उनकर गांव के नाम नइखी देत.)
गांठ के ऑपरेशन कब होई, इ फैसला 24 बरिस के प्रीति खातिर अकेले के नइखे. उनकर परिवार बहुत जल्दी उनकर बियाह करे वाला बा. लइका बगले के गांव के ठहिरलन, आउर सशस्त्र बल के जवान बारन. प्रीति के कहनाम बा, "हमार ऑपरेशन त बियाह के बाद भी हो सकत बा, ह कि ना? डॉक्टर के उम्मेद बा कि एगो बच्चा होइला के बाद इ गांठ खुदे चल जाई.”
बाकिर का लइका के परिवार के गांठ, ओकर ऑपरेशन आउरी परिवार में कैंसर के दोसर मामला के बारे में जानकारी दिहल जाई? एह सवाल के जबाब में उ कहली, "हमरा उहे नइखे समझ में आवत." इहे कारण बा कि उनकर ऑपरेशन अभी तलक अटकल बा.
साल 2019 में भूविज्ञान में बीएससी के डिग्री पूरा करे वाली प्रीति खातिर गांठ आ ओकरा बाद के समय उनकर जिंदगी में अकेलापन के एगो खराब दौर लेके आइल बा. बाबूजी के 2016 में किडनी ( गुर्दा) के कैंसर हो गइल. कैंसर लास्ट स्टेज (अंतिम दशा) में रहे. कुछ महीना बाद नवंबर में उ चल बसले. एकरा से पहिले जनवरी में प्रीती के माई के हार्ट अटैक (ह्रदय आघात) से मौत हो गइल रहे. उनकरा दिल के बेमारी के इलाज साल 2013 से चलत रहे. उनका के इस्पेशल कार्डियक (दिल से जुड़ी बीमारी का इलाज) यूनिट वाला कई गो अस्पताल में देखावल गइल. दुनु जने अबहीं 60 के उमर भी ना पार कइले रहलें. प्रीति कहेली, "हम एकदम अकेला पड़ गइल बानी. आज माई जिंदा रहती त उ हमार परेशानी समझ जइती."
प्रीति के माई के मरे के ठीक पहिले परिवार के पता चलल कि इ सभ घर में गंदा पानी से काम करेके चलते होखत बा. इ बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के जांच में पता चलल. प्रीति के कहनाम रहे, “संस्था के डॉक्टर माई के दिमागी परेशानी के बारे में पूछले रहले. जब हम परिवार में होखेवाला मौत के बारे में बतवनी त उ बहुते सवाल पूछे लगले. उ इ भी जाने के चाहत रहस कि हमनी के कवना तरह के पानी पियेनी. केतना बरिस से इहे हो रहल बा कि हमनी के हैंड पंप से निकले वाला पानी आधा घंटा बाद पीयर हो जाला.”
एगो रिपोर्ट के मुताबिक बिहार भारत के अइसन सात राज्य में से एगो ह, जहां भूजल में मौजूद आर्सेनिक (पानी में घुलल एक तरह के जहरीला रसायन) के मात्रा खतरनाक स्तर पार कर गइल बा. एह मामला में बिहार के अलावे बाकिर 6 राज्य में असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश आउरी पश्चिम बंगाल शामिल बा. बिहार में, केंद्रीय भूजल बोर्ड के प्रीति के जिला सारण समेत 18 जिला के 57 प्रखंड में भूजल में आर्सेनिक के मात्रा जादे मिलल . इ मात्रा हर लीटर में 0.05 मिलीग्राम जादे रहे. एकरा 10 माइक्रोग्राम से जादे ना होखे के चाहीं. इ दुनो रिपोर्ट साल 2010 में टास्क फोर्स आउरी राज्य सरकार के एजेंसी के जांच के आधार पर तैयार कइल गइल रहे.
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प्रीति जब 2-3 साल के रहस, उनकर बड़की बहिन खत्म हो गइली. प्रीति बतवली, “दिदिया के पेट में हरदमे बेसंभार दर्द होखे. बाबूजी ओकरा कई गो डाक्टरन के देखा दिहले, बाकिर बचा ना सकले. ओ समय से माई बहुत परिशान रहत रहे.”
एकरा बाद 2009 में चाचा, आउरी 2012 में चाची गुजर गइली. सभे कोई एक्के संगे एगो बड़ घर में रहत रहे. दुनु जने के ब्लड कैंसर (रक्त के कैंसर) भ गइल रहे. डाक्टर लोग बतवले रहे कि उ लोग इलाज में बहुत देरी क देलक.
साल 2013 में उहे चाचा के बेटा आउरी प्रीति के 36 साल के चचेरा भाई भी चल बसले. भाई के इलाज वैशाली जिला से सटल हाजीपुर में चलत रहे. उनकरा भी ब्लड कैंसर रहे.
बरिसन से बेमारी आ मौत से जूझत उनकर परिवार टूटत रहे. प्रीति हिम्मत देखवली आ सगरी जिम्मेवारी ले लिहली. उ इयाद करत बारी, “जब हम 10वां में रहनी, तब्बे से हमरा बहुत दिन तक घर के देखभाल करे के पड़ल. पहिले माई आ बाद में बाबूजी, दुनु बेमार हो गइले. एगो उ बखत रहे जब हर साल केहू ना केहू मरत रहे, या केहू गंभीर रूप से बेमार हो जात रहे.”
बाकिर का लइका के परिवार के गांठ, ओकर ऑपरेशन आउरी परिवार में कैंसर के दोसर मामला के बारे में जानकारी दिहल जाई? एह सवाल के जबाब में प्रीति कहली, 'हमरा उहे नइखे समझ में आवत.' इहे कारण बा कि उनकर ऑपरेशन अभी तक अटकल बा
आपन जिम्मेदारी निभावे खातिर प्रीति एगो बड़हन आ संयुक्त परिवार में खाना बनावे के काम करे लगली. एकरा चलते उनकर पढ़ाई पीछे रह गइल. एही बीच उनकर दुनो भाई में से एगो के बियाह हो गइल. भौजाई घर के सफाई, खाना बनावे आउरी बेमार लोगन के देखभाल करे में उनकर मदद करे लगली. भौजाई के अइला से प्रीति के सांस धरे के कछु फुरसत मिले लागल. बाकिर परिवार के परेशानी ना रुकल. उनकर चचेरा भाई के मेहरारू के जहरीला सांप काट दिहलस. उ खतलम भ गइलन. एकरा बाद साल 2019 में मैदान में भइल एगो हादसा में प्रीति के भाई के आंख में बहुते जादे चोट लाग गएल. अगिला कुछ महीना तक उनकर देखभाल करे के पड़ल.
माई-बाबूजी के मरला के बाद से प्रीति बहुत उदास रहे लगली. उ कहली कि, "हम बहुत मायूस रहनी... तब बहुते टेंशन रहे." जब धीरे-धीरे उ एकरा से निकले लगली, तब अचानक उनका अपना गांठ के बारे में पता चलल.
गांव के बाकी लोग जइसन प्रीति के परिवार भी बिना छानले आ उबालले हैंडपंप के पानी इस्तेमाल करत रहे. उनकर घर के बोरवेल लगभग 120-150 फीट गहिरा, आ दू दशक पुरान रहे. एकरा साथे ओह लोग के सगरी जरूरत– साफ-सफाई, नहाए, पीये, खाना बनावे, ऐही से पूरा होत रहे. प्रीति बतवली, “बाबूजी के गइला के बाद से हमनी के पीये, आउरी खाना बनावे खाती आरओ छानल पानी के इस्तेमाल करे लगनी.” एही बीच एगो शोध में पता चलल कि भूजल में पावल जाए वाला आर्सेनिक जहर जइसन काम करता. जिला के लोग धीरे-धीरे एह प्रदूषण आउरी एकरा खतरा के बारे में जागरूक होखत रहे. पीये के पानी से आर्सेनिक के छान के निकाले में आरओ शुद्धिकरण प्रणाली बहुत हद तक सफल रहल.
डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) 1958 से ही लोग के भूजल में मौजूद आर्सेनिक के खतरा के बारे में चेतावे के शुरू क देले रहे. संगठन के कहनाम रहे कि आर्सेनिक से दूषित पानी के बहुत दिन तक इस्तेमाल कइला से आर्सेनिक विषाक्तता, चाहे आर्सेनिकोसिस के बेमारी होखेला. एकर नतीजा इ होला कि आदमी के चमड़ी, मूत्राशय, गुर्दा, फेफड़ा के कैंसर हो जाता. ऐकरा से चमड़ी पर धब्बा, हथेली आउरी तलवा प कड़ा पैच जइसन बन जाला. संगठन एकरो मजबूत संकेत दिहलस कि दूषित पानी के इस्तेमाल से डायबिटीज (मधुमेह), हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) आउरी प्रजनन क्षमता से जुड़ल परेशानी भी हो सकता.
पटना के एगो निजी चैरिटेबल ट्रस्ट, साल 2017 से 2019 के बीच महावीर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर कैंसर के मरीज पर शोध कइलस. एकरा खातिर उ अपना ओपीडी में रैंडम (बिना क्रम से) तरीके से चुनल गइल 2000 मरीज के बोला के ओ लोग के खून के नमूना लेले. बाद में पता चलल कि कार्सिनोमा से जूझइत मरीजन के खून में आर्सेनिक के मात्रा जादे रहे. एगो जियोस्पेशियल मैप से पता चलल बा कि खून में आर्सेनिक के मात्रा के सीधा असर गंगा किनारे के मैदानी इलाका में जनसांख्यिकीय पर पड़ेला आउर एकरा से कई गो कैंसर जन्म लेवेला.
एही संस्थान के डॉ. अरुण कुमार बतवले, गंगा के नजदीक के इलाका से आवे वाला जादे मरीज (एमें सारण भी शामिल बा) के खून में आर्सेनिक के मात्रा जादा पावल गइल. एकरा से साफ पता चलता कि आर्सेनिक कैंसर, खासतौर पर कार्सिनोमा के कारण बनता." डॉ. अरुण एह शोध से जुड़ल कै ठो शोध पत्रन के सह-लेखन कइले बाड़न. एही अध्ययन से जुड़ल जनवरी 2021 के एगो रिपोर्ट में कहल गइल, "हमनी के संस्थान में साल 2019 में 15,000 से जादे कैंसर के मामला दर्ज भइल रहे. महामारी विज्ञान के आंकड़ा बतावता कि रिपोर्ट कइल गइल अधिकतर कैंसर के मामला ओ शहर चाहे कस्बा में रहे जे गंगा के किनारे बसल रहे. कैंसर के जादे मरीज़ लोग बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, बेगूसराय, भागलपुर जिला से
प्रीति चिंतत स्वर में कहली, 'हम थोड़को दिन खातिर इहां से कहीं जाइले, त लोग के पता चल जाला. इ बहुत छोट गांव ह. जब हम ऑपरेशन खातिर पटना जाइब, उहो कुछ दिन खातिर, तब्बो सबके पता चल जाई'
एही अध्ययन से जुड़ल जनवरी 2021 के एगो रिपोर्ट में कहल गइल, "हमनी के संस्थान में साल 2019 में 15,000 से जादे कैंसर के मामला दर्ज भइल रहे. महामारी विज्ञान के आंकड़ा बतावता कि रिपोर्ट कइल गइल अधिकतर कैंसर के मामला ओ शहर चाहे कस्बा में रहे जे गंगा के किनारे बसल रहे. कैंसर के जादे मरीज़ लोग बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, बेगूसराय, भागलपुर जिला से रहे.”
एक तरफ त सारण जिला के गांव में रहेवाला प्रीति के परिवार कैंसर से मरद-मेहरारू दुनो के गंवा चुकल बा. दोसरा तरफ अब प्रीति के ऑन्कोलॉजिस्ट के लगे जाए में भी दिक्कत हो सकता. बात इ बा कि, कैंसर के अब समाज में कलंक के रूप में देखल जा रहल बा, खासकर लइकिन के मामला में. जइसे प्रीति के एगो भाई कहतारे, "गांव के लोग बात बनावेला... इ परिवार के ध्यान रखे के पड़ी."
प्रीति चिंता जतावत बाड़ी, “हम थोड़को दिन खातिर इहां से कहीं जाइले, त लोग के पता चल जाला. इ बहुत छोट गांव ह. जब हम ऑपरेशन खातिर पटना जाइब, उहो कुछ दिन खातिर तब्बो सबके पता चल जाई. काश, हमरा शुरुवे में पता चल गइल रहित, पानी में कैंसर बा."
प्रीति के उमेद बा कि उनका एगो प्यार करे वाला पति मिली. बाकिर उनका डरो लागेला कहीं इ गांठ ओह लोग के खुशी के राह में ना आ जाए.
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"का उ बच्चा के आपन दूध पिया पईहे?"
इहे सवाल रमुनी देवी यादव के कपार में घूमत रहे. उ पटना के एगो अस्पताल के वार्ड में अपना बिस्तरा पर लेटल बारी. उहंवा से उ कुछ दूर दूसरा बेड पर पड़ल 20 साल के लइकी के देखत रहली. उ लइकी के बियाह के शायद छौ महीना भएल होई. इ 2015 के गर्मी के समय रहे. 58 बरिस के रमुनी देवी पूछतारी, “कम से कम हमार छाती के ऑपरेशन बहुत उमर पे होखता. हमरा इ बेमारी चारो बेटा के बड़ भइला के बहुत बाद भइल. बाकिर छोट लइकिन के संगे अइसन कईसे होखता?"
रमुनी यादव प्रीति के गांव से इहे कोई 140 किलोमीटर दूर बक्सर जिला के सिमरी प्रखंड के बरका राजपुर में रहेली. उहां उनका करीब 50 बीघा जमीन (करीब 17 एकड़) बा. ओहिजा के राजनीति में उनकर बहुते पैठ बा. गांव में कोरोना के चलते देरी के बाद एह साल के अंत तक चुनाव हो सकता. अगर अइसन भइल त छाती के कैंसर के हरावे के 6 साल बाद रमुनी देवी राजपुर कलां पंचायत (जवना के तहत उनकर गांव आवेला) के प्रमुख पद खाती चुनाव लड़िहे.
रमुनी खाली भोजपुरी बोलेली, बाकिर उनकर बेटा आ पति उमाशंकर यादव उनका लेल दुभाषिया के काम करेलें. उमाशंकर के कहनाम बा कि बरका राजपुर गांव में कई गो कैंसर के मामला बा. केंद्रीय भूजल बोर्ड के रिपोर्ट बतावत बा कि जवन 18 जिला के 57 ब्लॉक में ग्राउंडवाटर में आर्सेनिक के मात्रा जादे बा, ओमे बक्सर जिला भी शामिल बाटे.
आपन खेत में घूमत घूमत रमुनी बतियावत बारी. एह सीजन में उनकर खेत में मालदा आम आ कटहल खूब फरल बा. रमुनी के कहनाम बा कि उनकर परिवार उनका के तबले इ ना बतवलक कि उनकर हालत केतना गंभीर बा, जबले कि उनकर आखिरी ऑपरेशन आ रेडिएशन के इलाज शुरू ना भइल.
उत्तर प्रदेश के बनारस जिला में उनकर पहिल ऑपरेशन भइल. पर इ ऑपरेशन फेल हो गइल. इहे सब याद करत उ कहली, “शुरुआत में हमनी के ना मालूम रहे कि इ का ह, आउरी जागरूकता भी ना रहे, ऐही से बहुत परेशानी भइल.” बनारस में यादव परिवार के रिश्तेदारी रहे. पहिला ऑपरेशन में गांठ निकालल गइल रहे, बाकिर उ फेर से बढ़े लागल. बाद में दिन-पर-दिन आउरी बढ़त गइल, जवना से बहुत दर्द होखत रहे. उहे बरिस 2014 में रमुनी फेरु बनारस के ओही क्लिनिक में गइली. उहां फेरु से उनकर उहे ऑपरेशन कएल गइल.
उमाशंकर बतावत बारे, “बाकिर जब हम गांव के आपन स्थानीय डॉक्टर के क्लिनिक में पट्टी बदलवावे गइनी त उ कहले कि घाव बहुते गंभीर लागता.” यादव परिवार दुगो अवरू अस्पताल के दौरा कइलस. फेर 2015 में केहु पटना के महावीर कैंसर संस्थान में जाए के सलाह दिहलस.
रमुनी के कहनाम बा कि महीना भर अस्पताल के चक्कर काटि-काटि के, गांव से बार-बार बाहिर जाए से उनकर पारिवारिक जीवन पूरा से गड़बड़ा गइल. उ कहली, "जब कवनो महतारी के कैंसर होखेला त एकर असर ना खाली महतारी के ही सेहत पर ना पड़ेला, बालुक घर के हर चीज़ पर पड़ेला. ओ समय हमरा लगे खाली एगो पतोह रहली. उ बहुते परेशानी से घर संभाल पावत रहस. बाकिर तीन बेटा के बियाह बाद में केहू तरह से कइल गइल.”
उनकर बेटा लोग के भी चमड़ी के बेमारी हो गइल रहे. एकरा खातिर उ लोग हैंडपंप से निकले वाला खराब पानी के दोष देवेला. उनकर घर में 100-150 फीट गहिराई में लगावल बोरवेल करीब 25 साल पुरान बा. रमुनी के कीमोथेरेपी, ऑपरेशन आ रेडिएशन थेरेपी के चलते घर में हमेशा परेशानी के माहौल बनल रहे. सीमा सुरक्षा बल के तैनाती के चलते उनकर एगो बेटा बक्सर आवत जात रहले. उनकर एगो अउरी बेटा बगल के गांव में मास्टर के काम करत रहले. इ सब करे में उनकर जादे समय ओहिजा बीत जात रहे. घरवालन के खेतियो के ध्यान राखे के पड़त रहे.
रमुनी बतावत बारी, “जब हमार आखिर ऑपरेशन भइल, त उहां हम आपन अस्पताल के वार्ड में एगो नइकी कनिया के देखनी. हम ओकरा लगे जाके आपन निशान देखवनी आ कहनी कि चिंता के कवनो बात नइखे. उनका छाती के कैंसर भी रहे, आ हमरा इ देख के खुशी भइल कि उनकर पति उनकर एतना बढ़िया से देखभाल करत बाड़े. हालांकि ए लोग के बियाह के कुछे महीना भइल रहे. बाद में डॉक्टर बतवले कि उ बच्चा के आपन दूध पिया सकेली. इ सुन के हमरा खुशी के ठिकाना ना रहे.”
उनकर बेटा शिवजीत के कहनाम बा कि बरका राजपुर के ग्राउंड वाटर बेसी गंदा बा. उ कहले, “जब तक हमनी के खुद के महतारी गंभीर रूप से बेमार ना हो गईली, तब तक हमनी के स्वास्थ्य आउरी पानी के बीच के रिश्ता पर चिंता ना भइल. बाकिर एहिजा के पानी के रंग अजीब बा. साल 2007 या ओसे जादे तक सब ठीक रहे, बाकिर ओकरा बाद हमनी के देखनी जा कि पानी के रंग पीयर हो रहल बा. अब हमनी के ग्राउंड वाटर से खाली नहाए और धोए के काम करेनी.”
उ लोग खाना बनावे आ पीये खातिर कुछ संगठनन से दान में मिलल फिल्ट्रेशन प्लांट के पानी के इस्तेमाल करेलें. अब एकर इस्तेमाल 250 परिवार करेलें. बाकिर एकरा सितंबर 2020 में (यादव परिवार के जमीन पर) लगावल गइल, जबकि कई गो रिपोर्ट सभ से पता चलेला कि इहां के ग्राउंड वाटर 1999 से गंदा बा.
इहां फिल्ट्रेशन प्लॉट बहुते सफल साबित नइखे भइल. गाँव के लोग के कहनाम बा कि गर्मी में एकर पानी बहुत गरम हो जाला. शिवजीत के कहनाम बा कि, आस-पास के गांव में दोकान पर 20-30 रुपैया में 20 लीटर के प्लास्टिक के बोतल खूब बिकात बा. बाकिर कोई नइखे जानत कि उ पानी में आर्सेनिक बाटे कि ना.
एगो अध्ययन से पता चलल बा कि उत्तरी आउरी पूर्वी भारत के नदियन के तीरे आर्सेनिक वाला मैदान से गुजरे वाली जादे नदी सब हिमालय से निकलेली. गंगा के किनारे बसल इलाका सभ में जहरीला प्रदूषण के पीछे भूगर्भीय कारक बाड़ें. उथला जलभृत सभ में ऑक्सीकरण से आर्सेनोपाइराइट नियर हानिरहित खनिज सभ से आर्सेनिक निकले ला. अध्ययन बतावत बा कि खेती खाती ग्राउंड वाटर के जादे इस्तेमाल के चलते पानी के लेवल में कमी के संबंध, कुछ गांव में बढ़त प्रदूषण से हो सकता. इ अउरी कई गो कारण सभ के ओर भी इशारा करे ला:
एसके आचार्य, जे पहिले भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से जुड़ल रहलें, आ अउरी जानकार लोग 1999 में नेचर पत्रिका में आएल एगो शोध पत्र में लिखले रहलें, "हमनी के मानना बा कि तलछटी आर्सेनिक के अउरी कई गो संभावित स्रोत बाड़ें जिनहन में राजमहल बेसिन में गोंडवाना कोयला के जमाव, [200 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएन) आर्सेनिक], दार्जिलिंग के हिमालयी श्रेणी सभ में सल्फाइड चट्टान सभ (0.8% तक ले आर्सेनिक होला), आ गंगा के उद्गम के लगे के अउरी स्रोत सभ शामिल बा.
अध्ययन से पता चलल ह कि उथला अउरी बहुत गहिरा कुआं से निकले वाला पानी में आर्सेनिक कम पावल जाला, जबकि 80 से 200 फीट तक के गहराई तक के स्रोत में प्रदूषण देखल गइल बा. डॉ. कुमार के कहना बा कि इ बात, गांवन में लोग के अनुभव से साफ जुड़ल बा. उहां उनकर संस्थान बड़हन पैमाना पर अध्ययन खातिर पानी के नमूना के परीक्षण करेले. बरखा के पानी आ उथला कुआँ सभ में आर्सेनिक के मात्रा बहुत कम होला, आ कहीं त एकदम प्रदूषण ना होला. जबकि गर्मी में कई घर सभ में बोरवेल के पानी के रंग फीका पड़ जाला आ रंग बदल जाला.
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बक्सर जिला के बरका राजपुर से लगभग चार किलोमीटर उत्तर में एगो गांव बा. एहमें 340 घर बसल बा. गांव के नाम बा- ‘तिलक राय का हट्टा’. इहां के जादे परिवार के आपन जमीन नइखे. इहां कुछ घर के बाहर हैंडपंप लागल बा, बाकिर ओसे बहुत गंदा पानी निकलेला.
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. कुमार के कहनाम बा कि, साल 2013-14 में महावीर कैंसर संस्थान के एगो अध्ययन में एह गांव के ग्राउंड जल में, खास तौर पर तिलक राय के हट्टा के पश्चिमी हिस्सा में आर्सेनिक के मात्रा जादे पावल गइल. गांव के लोग में आर्सेनिकोसिस के आम लच्छन "व्यापक" रूप से पावल गइल: 28 प्रतिशत लोग के हथेली आ तलवा पर हाइपरकेराटोसिस (घाव) भइल, 31 प्रतिशत लोग के चमड़ी के रंजकता आ मेलेनोसिस रहे, 57 प्रतिशत लोग के लिवर के समस्या, 86 प्रतिशत लोग के गैस्ट्राइटिस, आ 9 प्रतिशत जनानालोग अनियमित माहवारी से जूझत रहे.
एह गांव में किरण देवी के पति ईंट आ माटी के घरन के एगो अलग-थलग गुच्छा में रहत रहले. इ गुच्छा बिछु का डेरा के नाम से जानल जाएला. उ बतवली कि, कई महीना तक पेट दर्द के बाद साल 2016 में उनकर मौत हो गइल. परिवार उनका के सिमरी आ बक्सर के कई गो डाक्टरन के लगे ले गइल. उनकर अलग तरह के इलाजो भइल. 50 साल से ऊपर के किरण के कहनाम बा कि, "उ लोग कहले कि इ टीबी ह, चाहे लिवर कैंसर ह." उनका लगे एगो छोट जमीन बा, बाकिर उनका पति रोज मजदूरी करिके कमावत रहस. इहे उनकर कमाई के मोटा रस्ता रहे.
साल 2018 से किरण देवी के हथेली प कड़ा अउरी पीयर रंग के धब्बा देखात बा. जवन पानी में आर्सेनिक के मिलावट के ओर इशारा करता. उ कहले कि, हमरा मालूम बा कि इ वाटर इफेक्ट ह, बाकिर जदी हम अपना पंप के इस्तेमाल ना करब त पानी खाती कहां जाइब? उनकर हैंड पंप उनकर घर के ठीक बाहर, एगो छोट बाड़े के पार लागल बा. उहां एगो बैल जुगाली करत बा.
उनकर कहनाम बा कि जब मानसून के मौसम ना होखेला त (नवंबर से मई तक) पानी खराब हो जाला. फेर इ पनीगर चाय नियर देखे में लागेला. ऊ पूछत बाड़ी, “हमनी के खाए खातिर भी लड़ाई करत बानी जा. डॉक्टर से देखावे आउर टेस्ट करावे पटना कइसे जाइब?" उनकर हथेली में बहुत खुजली होला. जब उ साबुन के टिकिया छूएली, चाहे जानवरन के बाड़े से गोबर उठावेली, त हथेली जरे लागेला.
रमुनी कहतारी कि, जनाना आउरी पानी के बीच गहिरा संबंध बा. काहे कि घर के सभ काम एही दुनो के मदद से होखेला. अगर पानी खराब बा त जाहिर बा कि एकर सबसे जादे असर जनाना पर पड़ी. उमाशंकर के कहनाम बा, “कि कैंसर के एगो सामाजिक लांछन के रूप में देखल जाला. एकरा चलते बहुत लोग, खास तौर पर जनाना इलाज में संकोच करेले. आउरी तब तक बहुत देर हो जाला.”
रामुनी के छाती के कैंसर बा, एह पता चलला के तुरंत बाद गांव के आंगनबाड़ी पानी के गुणवत्ता के बारे में लोग के जागरूक करे खाती अभियान शुरू कईलस. रमुनी मुखिया चुनल गइली. उ एह दिशा में अउरी काम करे के योजना बनावत बाड़ी. उ कहली कि, "सब लोग अपना घर खाती आरओ पानी ना खरीद सकेले आउरी सभ जनाना आसानी से अस्पताल ना जा सकेली. हमनी के एह जंजाल से उबरे के खाती अउरी रस्ता के तलाश जारी राखब."
पारी आउर काउंटरमीडिया ट्रस्ट की ओर से ग्रामीण भारत के किशोरी आउर जनाना के केंद्र में रखकर होवे वाला रिपोर्टिंग के इ राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट ' पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया '; द्वारा समर्थित पहल के हिस्सा बा , ताकि आम जन के बात आउर उनकर जीवन के अनुभव के मदद से इ महत्वपूर्ण , बाकिर हाशिए पर पड़ल समुदाय के स्थिति के पता लगाइल जा सके .
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अनुवाद : स्वर्ण कांता