‘पर्वत के देवता को हमने शायद नाराज़ कर दिया’
लद्दाख के ऊंचे चरागाहों में घुमंतू चांगपा पशुपालकों की याक से संबंधित अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल छाए हुए हैं जिसका कारण है उनके नाज़ुक पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र में प्रमुख जलवायु परिवर्तन
22 जुलाई, 2019 | रितायन मुखर्जी
पश्मीना शॉल की कहानी बुनते हुए
तिब्बती पठार में चंगथांगी बकरियों से लेकर श्रीनगर के रिटेल स्टोर तक, पश्मीना शॉल बनाने में कई लोग शामिल हैं – पशुचालक, थोक व्यापारी, कताई करने वाले, ख़रीदार, डिज़ाइनर, कढ़ाई करने वाले और उद्यमी
23 जून, 2019 | प्रबीर मित्रा
तोसा-मैदान: बंदूक़ें, चरागाह, क्लेश
बडगाम जिले में सेना के फायरिंग रेंज के कारण कई ग्रामीणवासियों की मौत और साथ ही पर्वतीय चरागाहों में पर्यावरणीय क्षति के बाद, स्थानीय लोगों ने यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ाई लड़ी कि 2014 में सेना के पट्टे को नवीकृत न किया जाए। लेकिन समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं
5 अप्रैल, 2019 | फ़्रेनी मानेक्शा
यादों का एक संग्रहालय – और मिसाइलें
करगिल में एलओसी पर स्थित एक सुदूर गांव, हुंदरमन, जो दो शत्रु देशों के बीच क्रॉसफायर में घिरा हुआ है – ने अपना इतिहास और दिल दुनिया के लिए खोल दिया है – इसके त्याग दिए गए घर अब अतीत को संरक्षित करने वाले विरासत स्थल हैं
10 मई, 2018 | स्टैंज़िन सैल्डॉन
गरीबों द्वारा पहाड़ों पर सड़क निर्माण
लद्दाख में पहाड़ों पर सड़कों का निर्माण करने वाले अधिकतर मज़दूर बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के प्रवासी हैं - वे घर पर आजीविका का कोई विकल्प न होने के कारण यहां सख्त मौसम में जोखिम भरा काम करने पर मजबूर हैं
26 मार्च, 2018 | रितायन मुखर्जी
करगिल में अर्थव्यवस्था का शिखर
करगिल, लद्दाख के कमांडर बाज़ार – जहां तीन के अलावा सभी दुकान महिलाएं चलाती हैं – की शुरूआत तथा सफलता की कहानियां प्रेरणादायक हैं
21 नवंबर, 2017 | स्टैंज़िन सैल्डॉन
हिंदी अनुवाद: मोहम्मद क़मर तबरेज़